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श्रीराम स्तुति - श्री रामचंद्र कृपालु भजमन
Shri Ram Stuti |
जय श्री राम साथियो आप सभी का हमारे ब्लॉग में स्वागत हे | हम आपके लिए हमेशा नए नए भजन और आरती का खजाना लाते हे | इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लाये हे भगवान् श्री राम चंद्र जी की स्तुति | भगवान् श्री राम का गुणगान करने से प्रभु श्री राम तो प्रसन्न होते ही हे साथ जी उनके परम भक्त श्री हनुमान जी भी प्रसन होते हे और उनकी कृपा भी हम पर बनी रहती हे |
Shri Ram Stuti mp3 song
बजरंगबली को करना है प्रसन्न तो पूजा करते समय जरूर पढ़ें श्रीराम स्तुति
रामनवमी के दिन श्री राम स्तुति का पाठ करने से प्रभु श्री राम संकटो से सदैव हमारी रक्षा करते हे | तो आइये श्री राम की भक्ति में खो जाये और शुरू करते हे श्री राम स्तुति |
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श्री राम स्तुति अर्थ सहित Shri Ram Stuti With Meaning
Shri Ram Stuti |
::दोहा::
1- श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्,
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।
अर्थ - हे मन कृपालु श्रीराम चन्द्रजी का भजन और सुमिरन कर। वे संसार के जन्म-मरण रूपी दारुण भय को दूर करने वाले तारणहार हैं। उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान हैं। मुख-हाथ और चरण भी लाल कमल के सदृश हैं |
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2- कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम्,
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।
अर्थ - उनके सौन्दर्य और रूप की छ्टा अगणित कामदेवों से भी बढ़कर है। उनके शरीर का वर्ण नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुन्दर है। पीताम्बर मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ|
Shri Ram Stuti |
3- भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्,
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।
अर्थ - हे मन दीनों के बन्धु, सूर्य के बराबर तेजस्वी, दानव और राक्षसों के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्दकन्द कोशल-देशरूपी आकाश में निर्मल चन्द्रमा के समान दशरथ नन्दन प्रभु श्रीराम का भजन कर|
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन इन हिंदी
4- सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं,
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।
अर्थ - जिनके मस्तक पर रत्नजड़ित मुकुट, कानों में कुण्डल , माथे पर तिलक, और शरीर के प्रत्येक अंग मे सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं। जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी हैं। जो धनुष-बाण लिये हुए हैं, जिन्होनें संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया है|
5- इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्,
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।
अर्थ - जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे हृदय कमल में सदैव निवास करें|
श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन | Shri Ram Stuti Mantra Lyrics
::छंद::
1- मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
अर्थ - जिसमें तुम्हारा मन तल्लीन हो गया है, वही स्वभाव से सुन्दर साँवला वर (श्रीरामन्द्रजी) तुमको प्राप्त होगा । वह जो दया के सागर और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है|
Shri Ram Stuti |
2- एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
अर्थ - इस प्रकार श्री गौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकी माता समेत सभी सखियाँ हृदय मे हर्षित हुईं। भक्त तुलसीदासजी कहते हैं, भवानी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं|
श्री रामचंद्र कृपालु भज मन हिंदी मीनिंग
::सोरठा::
1- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
अर्थ - गौरीजी को अपने अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय में जो आनंद प्राप्त हुआ वह कहा नही जा सकता। सुन्दर मंगलों के मूल उनके बाँये अंग फड़कने लगे|
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